नमस्कार दोस्तो मै श्रद्धा शर्मा आपका फिर एक बार स्वागत करती हूँ [ healthworkerss ] पर ।
आज मै आपको PCOD (Polycystic Ovarian Disease)पॉलिसिस्टिक ऑवेरियन डिसीज़ या पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOS ] के बारे मै बताउंगी ।
चलिये जानते है ।
क्या है PCOD/PCOS?
इन संकेतों से पहचानें पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम को :------
2. अचानक वजन बढ़ना- इस योग में ज्यादातर महिलाओं के शरीर में मोटापा बढ़ जाता है।
3. अधिक बाल उगना (Hirsutism)- ठोड़ी पर अनचाहे बाल उगना सिर्फ हार्मोनल चेंज ही नहीं इस बीमारी का लक्षण भी हो सकता है,इसके अलावा बालों का झड़ना, शरीर व चेहरे पर, छाती पर, पेट पर, पीठ पर अंगूठों पर या पैरों के अंगूठों पर बालों का उगना भी इसके लक्षण है।
4. भावनात्मक उथल-पुथल- जल्दी किसी बात पर इमोशनल हो जाना, अधिक चिंतित रहना, बेवजह चिड़चिड़ापन इस बीमारी के संकेत हो सकते हैं।
5. बांझपन- इस समस्या से बांझपन अधिक देखने को मिलता है, जिसका इलाज इन विट्रो फर्टिलाइजेशन जैसी नई तकनीक से दूर किया जा सकता है, जिसके बाद प्राकृतिक तरीके से अंडा महिला के गर्भ में विकसित हो जाता है। PCOD महिलाओं में इनफर्टिलिटी के मुख्य कारणों में से एक है।
6. चेहरे पर मुहांसों का होना-ओवरी में सिस्ट चेहरे ,गर्दन, बांह, छाती, जांघों आदि जगहों पर धब्बे पर दाग धब्बे,तेलीय चेहरा या डैन्ड्रफ भी दे सकता है। मुंहासों की शुरुआत धीमी होती है पर जब इनकी अति हो जाए, तब कोई घरेलु उपचार आज़माने की बजाए डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं।
- जबकि पीसीओडी के कारण कुछ महिलाओं को समय पर पीरियड्स ना होने जैसे लक्षण नजर आते हैं। इनके पीरियड्स अक्सर समय से पहले या ज्यादातर केसेज में डेट निकलने के बाद ही आते हैं।
- हालांकि एक सप्ताह पहले या एक सप्ताह बाद पीरियड्स आना नॉर्मल होता है, उन महिलाओं में जिनका साइकल हमेशा इसी रिद्म में आता हो। अगर आपके साथ यह समस्या अचानक शुरू हुई है तो आपको डॉक्टर से जरूर बात करनी चाहिए।
PCOD/PCOS से निजात पाने के लिए जुड़े प्रकृति से
प्राकृतिक जगहों पर सैर करने जाएं जिससे केवल आपका तनाव ही दूर नहीं होगा बल्कि वजन भी कम होगा जिससे मासिक धर्म सही समय पर आ सकते हैं। व्यायाम आपके शरीर को स्वस्थ रखने के साथ तनाव मुक्त भी करता है। अपना कुछ वक़्त आप अकेले प्रकृति के साथ बिताएं जिससे आप का मन शांत रहे। इसके साथ आप संगीत सुने या कुछ अच्छी किताबें पढ़ें।
नियमित व्यायाम करें :
पैदल घूमना, जॉगिंग, योग, ज़ुम्बा डांस, एरोबिक्स,साइक्लिंग, स्विमिंग किसी भी तरह का शारीरिक व्यायाम रोज़ करें। व्यायाम के साथ आप मैडिटेशन भी कर सकती ही जिससे तनाव काम होगा।
अच्छा खानपान, अच्छी सेहत :
जंक फ़ूड,अधिक मीठा,फैट युक्त भोजन,अत्यधिक तैलीय पदार्थ,सॉफ्ट ड्रिंक्स, का सेवन बंद कर अच्छा पौष्टिक आहार लेना ज़रूरी है। अपनी डाइट में फल,हरी सब्जियां,विटामिन बी युक्त आहार,खाने में ओमेगा 3 फेटी एसिड्स से भरपूर चीज़ें शामिल करें जैसे अलसी, फिश, अखरोट आदि। आप अपनी डाइट में नट्स, बीज, दही, ताज़े फल व सब्जियां ज़रूर शामिल करें। दिन भर भरपूर पानी पीएं। मीठा खाने से परहेज करें क्योंकि डाइबिटीज़ होना इस बीमारी कारण हो सकता है। किसी भी तरह का मोटापा पैदा करने वाला पदार्थ जैसे, सफेद आटा, पास्ता, डब्बाबंद आदि न खाएं।
मेडिकल जांच-----
पीसीओडी का उपचार
पीसीओडी के लिए प्राथमिक उपचार में दवाओं के साथ जीवनशैली में बदलाव शामिल हैं। उपचार विधियों को चार श्रेणियों में माना जा सकता है –
1. इंसुलिन रेजिस्टेंस लेवल को कम करना
2. प्रजनन क्षमता को बढ़ाना
3. अनचाहे बालों के विकास को कम करना और मुँहासे के उपचार का प्रबंध करना
4. मासिक धर्म को पुनः नियमित करना और एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया और एंडोमेट्रियल कैंसर से भी बचाव।
वजन कम करने में या इंसुलिन रेजिस्टेंस कम करने में सामान्य उपाय काफी सहायक हो सकते हंै क्योंकि ये मुख्य कारण माने जाते हैं। इन्दिरा आईवीएफ की निःसंतानता एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. शिल्पा गुलाटी बताती हैं चूंकि पीसीओडी मनोवैज्ञानिक तनाव का परिणाम है, इसलिए निम्नलिखित उपचार अपनाए जा सकते हैं।
पीसीओडी और निःसंतानता
पीसीओडी से प्रभावित हर महिला को गर्भवती होने में समस्या नहीं होती है। महिलाओं में ओव्यूलेशन नहीं होना या अनियमित ओव्यूलेशन एक स्वीकृत कारण है। अन्य कारणों में गोनैडोट्रोपिन डिग्री में परिवर्तन, हाइपरएंड्रोजेनिमिया के साथ-साथ हाइपरिन्सुलिनमिया भी शामिल है। पीसीओडी से प्रभावित और बिना पीसीओडी महिलाएं जो ओव्युलेशन कर रही हैं उनमें कुछ अन्य कारणों से निःसंतानता हो सकती है जैसे यौन संचारित रोगों से उत्पन्न ट्यूबल ब्लॉकेज। पीसीओडी वाली अधिक वजन वाली महिलाएं आहार में बदलाव सहित वजन में कमी, मुख्य रूप से कार्ब्स की खपत को कम कर नियमित ओव्यूलेशन की बहाली कर सकती हैं।
वे महिलाएं जिनका वजन कम है या वजन कम किया है लेकिन अभी तक ओव्युलेशन नहीं कर पा रही हैं उस स्थिति में दवाओं के रूप में लेट्रोजोल साथ ही क्लोमीफीन साइट्रेट ओव्युलेशन को प्रोत्साहित करने के लिए प्राथमिक उपचार विकल्प हैं। इससे पहले एंटी डायबिटिज दवा मेटफोर्मिन को एनोव्यूलेशन के इलाज के लिए सजेस्ट जाता है, यह लेट्रोजोल या क्लोमीफीन की तुलना में कम कुशल है।
जो महिलाएं लेट्रोजोल या क्लोमीफीन और फिर जीवनशैली और आहार में परिवर्तन नहीं कर पा रही हैं उन्हें विकल्प में सहायक प्रजनन तकनीक में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन प्रक्रियाओं के रूप में फोलिकल-स्टीमुलेटिंग हार्मोन (एफएसएच) व ह्यूमन मीनोपोजल गोनेडोट्रोपिन इंजेक्शन सजेस्ट किये जा सकते हैं।
इन्दिरा आईवीएफ की निःसंतानता एवं आईवीएफ विशेषज्ञ डॉ. अर्चना बताती हैं कि सर्जिकल उपचार आमतौर पर नहीं किया जाता है। पॉलीसिस्टिक ओवरी का उपचार लेप्रोस्कोपिक प्रक्रिया से किया जाता है जिसे डिम्बग्रंथि ड्रिलिंग के रूप में जाना जाता है। यह अक्सर या तो प्राकृतिक ओव्यूलेशन या ओव्यूलेशन को फिर से शुरू करने के लिए किया जाता है इसके बाद क्लोमीफीन के साथ उपचार या एफएसएच का उपयोग नहीं किया जाएगा।
पीसीओडी में कंसीव कैसे करें?
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2 Comments
Good job👍👍
ReplyDeleteVery nice
ReplyDeleteGreat work
& Thank you